Monday, February 3, 2020

10 वी के बाद कौन-सा कोर्स करे, कौन-सा सब्जेक्ट ले, क्या करे ?

हमारे देश में दसवी क्लास तक सभी स्टूडेंट्स को एक जैसा सब्जेक्ट पढाया जाता है लेकिन इसके बाद विद्यार्थी को अपने इंटरेस्ट के हिसाब से या फिर आगे जा के बारहवीं के बाद क्या करना है उसके हिसाब से सब्जेक्ट को चुनना होता है आप जो भी सब्जेक्ट चुनते है आगे जा के इसका काफी फायदा होता है। 10th यानि बोर्ड एग्जाम पास करने के बाद आपके पास आमतोर पर तीन सब्जेक्ट होते है सबसे पहला आर्ट्स (Arts) दूसरा कॉमर्स (Commerce) और लास्ट साइंस (Science) तो ये मेन सब्जेक्ट है जो आपको दसवी क्लास के बाद चुनना होता है तो आइये जान लेते है इन सब्जेक्ट्स के बारे में.

 

 1. 10th के बाद आर्ट्स (Arts) सब्जेक्ट क्यों ले----
10th पास करने के बाद सबसे पहला सब्जेक्ट आता है आर्ट्स (Arts) ये सब्जेक्ट वो बच्चे लेते है जिनके दसवी बोर्ड एग्जाम में कम मार्क्स आते है 50% से लोगो के मन में ये वेहेम है की आर्ट्स लेने से आगे जिंदगी में कुछ भी स्कोप(Scope) नहीं है इस सब्जेक्ट को लेने से कोई फायदा नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है इस सब्जेक्ट को अगर आप अच्छे से पढ़ते है तो आगे जाके आप एक अच्छे पॉलिटिशियन , वकील , कोर्ट जज बन सकते है इसके अलावा आप हिंदी संस्कृत के प्रोफेसर भी बन सकते है आगे जाके तो अगर आप आगे जाके पॉलिटिक्स , प्रसानिक सेवा , या वकील बन्ने या समाज सेवा करने में रूचि तो आप आर्ट्स सब्जेक्ट का चुनाव कर सकते है.

आर्ट्स में क्या क्या सब्जेक्ट है

अगर आपको आर्ट्स सब्जेक्ट पसंद है और आप अपनी आगे की पढाई आर्ट्स में करना चाहते है तो इससे पहले आपको ये पता होना चाहिए की आपको इस आर्ट्स स्ट्रीम (Arts Stream) में कोन कोन से सब्जेक्ट मिलेंगे आइये जान लेते है

हिस्ट्री (History) : आर्ट्स में सबसे पहला सब्जेक्ट आता है हिस्ट्री यानि इतिहास जो की थोडा सा बोअरिंग है लेकिन अगर आपको इस सब्जेक्ट में रूचि है तो आप आर्ट्स स्ट्रीम का चुनाव कर सकते है इसमें आपको पुराने समय के बारे में ज्यादा ज्ञान मिलेगा
इंग्लिश (English) : इस सब्जेक्ट में आपको इंग्लिश ग्रामर सिखाया जाता है जिससे आप अपने अंग्रेजी को और अच्छा इम्प्रूव कर सकते है
जियोग्राफी (Geography) : जिसे हम भूगोल भी कहते है इसमें आपको पृथ्वी के बारे में यदा जानने को मिलेगा को मिलेगा जैसे की भूकंप कैसे आता है सुनामी क्या है इत्यादि.
साइकोलॉजी (Psychology) : इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको मनुष्य के दिमाग और बिहेविअर ( behavior) के बारे में आप अच्छे से जान सकते है
पोलिटिकल साइंस (Political Science) : इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको भारत के गवर्मेंट यानि सरकार से रिलेटेड साड़ी चीजे पढने को मिलेंगी
इकोनॉमिक्स (Economics) : इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको भारत के इकोनॉमिक्स यानि के गूल्ड्स एंड सर्विस सेल के बारे में ज्यादा जानने को मिलेगा
संस्कृत (Sanskrit) : इस सब्जेक्ट में आपको संस्कृत भाषा सिखने को मिलेगा अगर आप संस्कृत भासा सीखना चाहते है तो
सोशियोलॉजी (Sociology) : इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको सोसाइटी से रिलेटेड यानि समाज सेवी के बारे में पढाया जायेगा.
फिलोसोफी (Philosophy) : इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको इंसान बारे में बताया जायेगा की लोग क्या सोचते है कैसे स्ट्रेस फ्री रहे कैसे खुस रहे इत्यादि ये सब आप समझ सकते है अगर आपने फिलोसोफी की पढाई की है तो.


 2. 10th के बाद कॉमर्स (Commerce) सब्जेक्ट क्यों ले और क्या क्या करना चाहिए
आर्ट्स के बाद जो दूसरा सब्जेक्ट आता है दसवी क्लास पास करने के बाद वो है कॉमर्स (Commerce) इस सब्जेक्ट को आर्ट्स सब्जेक्ट के मुकावले थोडा ज्यादा दर्जा दिया जाता है ऐसा एसलिय क्यों की सब्जेक्ट को लेने के लिए आपके 10th क्लास में 60% के करीब होने चाहिए तभी कुछ स्कूल आपको ये सब्जेक्ट देते है तो अगर आपको बैंकिंग (Banking) में इंटरेस्ट है या फिर सीए (CA) बनना है या फिर आगे जाके कंप्यूटर की पढाई करने है तो ये सब्जेक्ट आपके लिए बेस्ट है इस सब्जेक्ट से आप बैंक मे मेनेजर , अकाउंटेंट इत्यादि बन सकते है तो अगर आप इन सब में रूचि है तो आप इस सब्जेक्ट कर चुनाव कर सकते है

कॉमर्स में कोन कोनसे सब्जेक्ट होते है
अगर आपको कॉमर्स स्ट्रीम को चुनना है तो इससे पहले आपको कुछ बाते पता होने चाहिए की आपको इसमें कोन कोन से सब्जेक्ट पढाये जायेंगे ये जान बहुत जरुरी है आपके लिए आइये जान लेते है कॉमर्स में हमें क्या क्या सब्जेक्ट पढने को मिलेगा


एकाउंटेंसी (Accountancy) : इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको हिसाब किताब सिखाया जाता है जैसे की बिजिनेस बैंक में पैसा जमा करना निकालना तो इसके हिसाब किताब के बारे में सिखाया जाता है
इकोनॉमिक्स (Economics) : इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको भारत के इकोनॉमिक्स यानि के गूल्ड्स एंड सर्विस सेल के बारे में ज्यादा जानने को मिलेगा
बुस्सिनेस स्टडीज (Business Studies) :इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको बिजिनेस के बारे में पढाया जाते है की कैसे बिजिनेस करे इसमें क्या क्या जरुरत है इत्यादि जैसे चीजों के बारे में बताया जाता है
मैथमैटिक्स (Mathematics) : इस सब्जेक्ट में आपको मैथ्स सिखाया जाता है जो की आपको आगे जाके कई जगह काफी काम आने वाले है
इंग्लिश (English) : इस सब्जेक्ट में आपको इंग्लिश ग्रामर सिखाया जाता है जिससे आप अपने अंग्रेजी को और अच्छा इम्प्रूव कर सकते है


 3.  दसवी के बाद साइंस (Science) सब्जेक्ट क्यों ले इससे करने से क्या क्या बन सकते है
कॉमर्स सब्जेक्ट के बाद लास्ट सब्जेक्ट आता है साइंस जो की बहोत ही ज्यादा वैल्युएबल सब्जेक्ट है यानि इस सब्जेक्ट की डिमांड आगे जाके काफी ज्यादा है ये सब्जेक्ट वही बच्चे लेते है जो पढाई में ज्यादा होसियार होते है क्योंकी ये सब्जेक्ट पढना थोडा मुस्किल है अगर आप पढाई में तेज नहीं है तो इस सब्जेक्ट को आप बिलकुल भी न चुने लेकिन अगर आपको आगे जाके इंजिनियर (Engineer) , डॉक्टर (Doctor), साइंटिस्ट (Scientist) बनना है तो आप इस सब्जेक्ट का चुनाव कर सकते है

साइंस में आपको 2 सब्जेक्ट में बाट जाता है एक मेडिकल (Medical) और दूसरा नॉनमेडिकल (Non Medical) यानि अगर आपको डॉक्टर बनना है तो आपको मेडिकल साइंस चुनना होगा और अगर आपको इंजिनियर बनना है तो आपको नॉनमेडिकल (non medical science) सब्जेक्ट चुनना होगा जिसमे आपको बायोलॉजी (Biology) सब्जेक्ट की जगह पे मैथ्स (Maths) पढाया जायेगा.

साइंस में कोन कोनसे सब्जेक्ट होते है
सब्जेक्ट एक मुस्किल और बेहतर सब्जेक्ट है इसलिए अगर आपको ये सब्जेक्ट चुनना है तो आपको इसके बारे में जरुर पता होना चाहिए की आपको इसमें कोन कोनसे सब्जेक्ट पढने होंगे आइये जान लेते है

फिजिक्स (Physics) : इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको प्रदार्थ , गति , उर्जा इत्यादी जैसे टॉपिक्स के बारे में जान्ने को मिलेगा
केमिस्ट्री (Chemistry) : इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको रसायनी विज्ञान के बारे में पढने को मिलेगा जैसे की पानी , केमिकल , गैस जैसे पर्दाथो के बारे में पढने को मिलेगा
बायोलॉजी (Biology) : इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको जीव विज्ञान के बारे में जाने को मिलेगा जैसे की मानव शरीर
मैथमैटिक्स (Mathematics) : इस सब्जेक्ट में आपको मैथ्स सिखाया जाता है जो की आपको आगे जाके कई जगह काफी काम आने वाले है

कंप्यूटर साइंस (Computer science) : इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको कंप्यूटर के बारे में पढाया जायेगा की कंप्यूटर क्या है सॉफ्टवेर कैसे बनते है इन्टरनेट इत्यादि के बारे में पढाया जाता है
बायोटेक्नोलॉजी (Biotechnology) : इस सब्जेक्ट के अन्दर आपको बायो टेक्नोलॉजी के बारे में पढाया जाता है जैसे बायोलॉजिकल सिस्टम , लिविंग ओर्गानिस्म इत्यादि


 4. 10th के बाद डिप्लोमा कोर्स करे ( Diploma course after 10th )
अगर आप दसवी क्लास के बाद स्कूल नहीं जाना कहते और इसकी जगह पे कोर्स प्रोफेशनल कोर्स या डिप्लोमा कोर्स करके एक अच्छी जॉब करना चाहते है तो ये आप कर सकते है 10th क्लास के बाद बहोत से इंस्टिट्यूट है जो आपको डिप्लोमा करवाते है अलग अलग चीजों में जो की आपको जॉब दिलाने में काफी मदद गार होता है आइये जान लेते है की आप दसवी क्लास पास करने के बाद डिप्लोमा किन सब्जेक्ट में कर सकते हो.

10th के बाद पॉलिटेक्निक (Polytechnic) करे
दसवी क्लास पास करने के बाद अगर आप स्कूल नही जाना चाहते डायरेक्ट कॉलेज करना चाहते है तो पॉलिटेक्निक काफी अच्छा आप्शन है ये एक इंस्टिट्यूट है जो आपको डिप्लोमा करवाते है जैसे की फेसन डिजाइनिंग , कंप्यूटर हार्डवारे , ऑटो मोबाइल , इलेक्ट्रिस इंजीनियरिंग , मैकेनिकल इंजीनियरिंग इत्यादि जैसे कई सब्जेक्ट में आपको डिप्लोमा करवाते है इसके बाद डायरेक्ट जॉब भी कर सकता है या फिर आप बैचलर डिग्री की पढाई भी कर सकते है इसके बाद

10th के बाद आईटीआई (ITI) करे
अगर आप पॉलिटेक्निक नहीं करना चाहते है तो 10th के बाद आप आईटीआई कर सकते है ये एक इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट (Industrial Training institute) है जहा पर आपको आपको अलग अलग चीजों में कोर्स करवाए है जिससे आप आसानी से जॉब पा सकते हैं 

Monday, January 13, 2020

स्वामी विवेकानंद

★★★ स्वामी विवेकानंद जन्म नाम नरेंद्र नाथ दत्त भारतीय हिंदु सन्यासी और 19 वी शताब्दी के संत रामकृष्ण के मुख्य शिष्य थे। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण दर्शन विदेशो में स्वामी विवेकानंद की वक्तृता के कारण ही पहोचा। भारत में हिंदु धर्म को बढ़ाने में उनकी मुख्य भूमिका रही और भारत को औपनिवेशक बनाने में उनका मुख्य सहयोग रहा। विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी भारत में सफलता पूर्वक चल रहा है। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुवात “मेरे अमेरिकी भाइयो और बहनों” के साथ करने के लिए जाना जाता है। जो शिकागो विश्व धर्म सम्मलेन में उन्होंने ने हिंदु धर्म की पहचान कराते हुए कहे थे। उनका जन्म कलकत्ता के बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ था। स्वामीजी का ध्यान बचपन से ही आध्यात्मिकता की और था। उनके गुरु रामकृष्ण का उनपर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा, जिनसे उन्होंने जीवन जीने का सही उद्देश जाना, स्वयम की आत्मा को जाना और भगवान की सही परिभाषा को जानकर उनकी सेवा की और सतत अपने दिमाग को को भगवान के ध्यान में लगाये रखा।


रामकृष्ण की मृत्यु के पश्च्यात, विवेकानंद ने विस्तृत रूप से भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की और ब्रिटिश कालीन भारत में लोगो की परिस्थितियों को जाना, उसे समझा। बाद में उन्होंने यूनाइटेड स्टेट की यात्रा जहा उन्होंने 1893 में विश्व धर्म सम्मलेन में भारतीयों के हिंदु धर्म का प्रतिनिधित्व किया। विवेकानंद ने यूरोप, इंग्लैंड और यूनाइटेड स्टेट में हिंदु शास्त्र की 100 से भी अधिक सामाजिक और वैयक्तिक क्लासेस ली और भाषण भी दिए। भारत में विवेकानंद एक देशभक्त संत के नाम से जाने जाते है और उनका जन्मदिन राष्ट्रिय युवा दिन के रूप में मनाया जाता है।

★★ प्रारंभिक जीवन, जन्म और बचपन –

स्वामी विवेकानंद का जन्म नरेन्द्रनाथ दत्ता (नरेंद्र, नरेन्) के नाम से 12 जनवरी 1863 को मकर संक्रांति के समय उनके पैतृक घर कलकत्ता के गौरमोहन मुखर्जी स्ट्रीट में हुआ, जो ब्रिटिशकालीन भारत की राजधानी थी। उनका परिवार एक पारंपरिक कायस्थ परिवार था, विवेकानंद के 9 भाई-बहन थे। उनके पिता, विश्वनाथ दत्ता, कलकत्ता हाई कोर्ट के वकील थे। दुर्गाचरण दत्ता जो नरेन्द्र के दादा थे, वे संस्कृत और पारसी के विद्वान थे जिन्होंने 25 साल की उम्र में अपना परिवार और घर छोड़कर एक सन्यासी का जीवन स्वीकार कर लिया था। उनकी माता, भुवनेश्वरी देवी एक देवभक्त गृहिणी थी। स्वामीजी के माता और पिता के अच्छे संस्कारो और अच्छी परवरिश के कारण स्वामीजी के जीवन को एक अच्छा आकार और एक उच्चकोटि की सोच मिली। युवा दिनों से ही उनमे आध्यात्मिकता के क्षेत्र में रूचि थी, वे हमेशा भगवान की तस्वीरों जैसे शिव, राम और सीता के सामने ध्यान लगाकर साधना करते थे। साधुओ और सन्यासियों की बाते उन्हें हमेशा प्रेरित करती रही। नरेंद्र बचपन से ही बहुत शरारती और कुशल बालक थे, उनके माता पिता को कई बार उन्हें सँभालने और समझने में परेशानी होती थी। उनकी माता हमेशा कहती थी की, “मैंने शिवजी से एक पुत्र की प्रार्थना की थी, और उन्होंने तो मुझे एक शैतान ही दे दिया”।

★★ स्वामी विवेकानंद शिक्षा –

1871 में, 8 साल की आयु में स्वामी विवेकानंद को ईश्वर चन्द्र विद्यासागर मेट्रोपोलिटन इंस्टिट्यूट में डाला गया, 1877 में जब उनका परिवार रायपुर स्थापित हुआ तब तक नरेंद्र ने उस स्कूल से शिक्षा ग्रहण की। 1879 में, उनके परिवार के कलकत्ता वापिस आ जाने के बाद प्रेसीडेंसी कॉलेज की एंट्रेंस परीक्षा में फर्स्ट डिवीज़न लाने वाले वे पहले विद्यार्थी बने। वे विभिन्न विषयो जैसे दर्शन शास्त्र, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञानं, कला और साहित्य के उत्सुक पाठक थे। हिंदु धर्मग्रंथो में भी उनकी बहुत रूचि थी जैसे वेद, उपनिषद, भगवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराण। नरेंद्र भारतीय पारंपरिक संगीत में निपुण थे, और हमेशा शारीरिक योग, खेल और सभी गतिविधियों में सहभागी होते थे। नरेंद्र ने पश्चिमी तर्क, पश्चिमी जीवन और यूरोपियन इतिहास की भी पढाई जनरल असेंबली इंस्टिट्यूट से कर रखी थी।

1881 में, उन्होंने ललित कला की परीक्षा पास की, और 1884 में कला स्नातक की डिग्री पूरी की। नरेंद्र ने डेविड ह्यूम, इम्मानुअल कांट, जोहान गॉटलीब फिच, बारूच स्पिनोजा, जॉर्ज डब्ल्यू एफ.एफ. हेगेल, आर्थर शॉपनहेउर, अगस्टे कॉम्टे, जॉन स्टुअर्ट मिल और चार्ल्स डार्विन के कामो का भी अभ्यास कर रखा था। वे हर्बर्ट स्पेन्सर के विकास सिद्धांत से मन्त्र मुग्ध हो गये थे और उन्ही के समान वे बनना चाहते थे, उन्होंने स्पेन्सर की शिक्षा किताब (1861) को बंगाली में भी परिभाषित किया। जब वे पश्चिमी दर्शन शास्त्रियों का अभ्यास कर रहे थे तब उन्होंने संस्कृत ग्रंथो और बंगाली साहित्यों को भी पढ़ा। विलियम हस्ति (जनरल असेंबली संस्था के अध्यक्ष) ने ये लिखा की, “नरेंद्र सच में बहुत होशियार है, मैंने कई यात्राये की बहुत दूर तक गया लेकिन मै और जर्मन विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र के विद्यार्थी भी कभी नरेंद्र के दिमाग और कुशलता के आगे नहीं जा सके”। कुछ लोग नरेंद्र को श्रुतिधरा (भयंकर स्मरण शक्ति वाला व्यक्ति) कहकर बुलाते थे।

★★ रामकृष्ण के साथ –

1881 में नरेंद्र पहली बार रामकृष्ण से मिले, जिन्होंने नरेंद्र के पिता की मृत्यु पश्च्यात मुख्य रूप से नरेंद्र पर आध्यात्मिक प्रकाश डाला। जब विलियम हस्ति जनरल असेंबली संस्था में विलियम वर्ड्सवर्थ की कविता “पर्यटन” पर भाषण दे रहे थे, तब नरेंद्र ने अपने आप को रामकृष्ण से परिचित करवाया था। जब वे कविता के एक शब्द “Trance” का मतलब समझा रहे थे, तब उन्होंने अपने विद्यार्थियों से कहा की वे इसका मतलब जानने के लिए दक्षिणेश्वर में स्थित रामकृष्ण से मिले। उनकी इस बात ने कई विद्यार्थियों को रामकृष्ण से मिलने प्रेरित किया, जिसमे नरेंद्र भी शामिल थे। वे व्यक्तिगत रूप से नवम्बर 1881 में मिले, लेकिन नरेंद्र उसे अपनी रामकृष्ण के साथ पहली मुलाकात नहीं मानते, और ना ही कभी किसी ने उस मुलाकात को नरेंद्र और रामकृष्ण की पहली मुलाकात के रूप में देखा। उस समय नरेंद्र अपनी आने वाली F.A.(ललित कला) परीक्षा की तयारी कर रहे थे।

जब रामकृष्ण को सुरेन्द्र नाथ मित्र के घर अपना भाषण देने जाना था, तब उन्होंने नरेंद्र को अपने साथ ही रखा। परांजपे के अनुसार, ”उस मुलाकात में रामकृष्ण ने युवा नरेंद्र को कुछ गाने के लिए कहा था। और उनके गाने की कला से मोहित होकर उन्होंने नरेंद्र को अपने साथ दक्षिणेश्वर चलने कहा। 1881 के अंत और 1882 में प्रारंभ में, नरेंद्र अपने दो मित्रो के साथ दक्षिणेश्वर गये और वह वे रामकृष्ण से मिले। उनकी यह मुलाकात उनके जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग-पॉइंट बना। उन्होंने जल्द ही रामकृष्ण को अपने गुरु के रूप में स्वीकार नही किया, और ना ही उनके विचारो के विरुद्ध कभी गये। वे तो बस उनके चरित्र से प्रभावित थे इसीलिए जल्दी से दक्षिणेश्वर चले गये। उन्होंने जल्द ही रामकृष्ण के परम आनंद और स्वप्न को ”कल्पनाशक्ति की मनगढ़त बातो” और “मतिभ्रम” के रूप में देखा। ब्रह्म समाज के सदस्य के रूप में, वे मूर्ति पूजा, बहुदेववाद और रामकृष्ण की काली देवी के पूजा के विरुद्ध थे। उन्होंने अद्वैत वेदांत के “पूर्णतया समान समझना” को इश्वर निंदा और पागलपंती समझते हुए अस्वीकार किया और उनका उपहास भी उड़ाया। नरेंद्र ने रामकृष्ण की परीक्षा भी ली, जिन्होंने (रामकृष्ण) उस विवाद को धैर्यपूर्वक सहते हुए कहा, ”सभी दृष्टिकोणों से सत्य जानने का प्रयास करे”।

नरेंद्र के पिता की 1884 में अचानक मृत्यु हो गयी और परिवार दिवालिया बन गया था, साहूकार दिए हुए कर्जे को वापिस करने की मांग कर रहे थे, और उनके रिश्तेदारों ने भी उनके पूर्वजो के घर से उनके अधिकारों को हटा दिया था। नरेंद्र अपने परिवार के लिए कुछ अच्छा करना चाहते थे, वे अपने महाविद्यालय के सबसे गरीब विद्यार्थी बन चुके थे। असफलता पूर्वक वे कोई काम ढूंडने में लग गये और भगवान के अस्तित्व का प्रश्न उनके सामने निर्मित हुआ, जहा रामकृष्ण के पास उन्हें तसल्ली मिली और उन्होंने दक्षिणेश्वर जाना बढ़ा दिया। एक दिन नरेंद्र ने रामकृष्ण से उनके परिवार के आर्थिक भलाई के लिए काली माता से प्रार्थना करने कहा। और रामकृष्ण की सलाह से वे तिन बार मंदिर गये, लेकिन वे हर बार उन्हें जिसकी जरुरत है वो मांगने में असफल हुए और उन्होंने खुद को सच्चाई के मार्ग पर ले जाने और लोगो की भलाई करने की प्रार्थना की। उस समय पहल;ई बार नरेंद्र ने भगवान् की अनुभूति की थी और उसी समय से नरेंद्र ने रामकृष्ण को अपना गुरु मान लिया था। 1885 में, रामकृष्ण को गले का कैंसर हुआ, और इस वजह से उन्हें कलकत्ता जाना पड़ा और बाद में कोस्सिपोरे गार्डन जाना पड़ा।

नरेंद्र और उनके अन्य साथियों ने रामकृष्ण के अंतिम दिनों में उनकी सेवा की, और साथ ही नरेंद्र की आध्यात्मिक शिक्षा भी शुरू थी। कोस्सिपोरे में नरेंद्र ने निर्विकल्प समाधी का अनुभव लिया। नरेंद्र और उनके अन्य शिष्यों ने रामकृष्ण से भगवा पोशाक लिया, तपस्वी के समान उनकी आज्ञा का पालन करते रहे। रामकृष्ण ने अपने अंतिम दिनों में उन्हें सिखाया की मनुष्य की सेवा करना ही भगवान की सबसे बड़ी पूजा है। रामकृष्ण ने नरेंद्र को अपने मठवासियो का ध्यान रखने कहा, और कहा की वे नरेंद्र को एक गुरु की तरह देखना चाहते है। और रामकृष्ण 16 अगस्त 1886 को कोस्सिपोरे में सुबह के समय भगवान को प्राप्त हुए।

★★ मृत्यु –

4 जुलाई 1902 (उनकी मृत्यु का दिन) को विवेकानंद सुबह जल्दी उठे, और बेलूर मठ के पूजा घर में पूजा करने गये और बाद में 3 घंटो तक योग भी किया। उन्होंने छात्रो को शुक्ल-यजुर-वेद, संस्कृत और योग साधना के विषय में पढाया, बाद में अपने सहशिष्यों के साथ चर्चा की और रामकृष्ण मठ में वैदिक महाविद्यालय बनाने पर विचार विमर्श किये। 7 P.M. को विवेकानंद अपने रूम में गये, और अपने शिष्य को शांति भंग करने के लिए मना किया, और 9 P.M को योगा करते समय उनकी मृत्यु हो गयी। उनके शिष्यों के अनुसार, उनकी मृत्यु का कारण उनके दिमाग में रक्तवाहिनी में दरार आने के कारन उन्हें महासमाधि प्राप्त होना है। उनके शिष्यों के अनुसार उनकी महासमाधि का कारण ब्रह्मरंधरा (योगा का एक प्रकार) था। उन्होंने अपनी भविष्यवाणी को सही साबित किया की वे 40 साल से ज्यादा नहीं जियेंगे। बेलूर की गंगा नदी में उनके शव को चन्दन की लकडियो से अग्नि दी गयी।

Monday, October 1, 2018

ब्रांड मैनेजमेंट

हर छोटी-बड़ी कंपनी अपने प्रोडक्ट की छवि को मार्केट में बेहतर बनाने के लिए ब्रांडिंग का सहारा लेने लगी हैं। ऐसी स्थिति में ब्रांड मैनेजमेंट की डिग्री रखने वाले स्टूडेंट्स के रास्ते खुलने लगे हैं। हर चीज की कामयाबी के पीछे ब्रांडिंग का काफी हाथ होती है। यह ब्रांडिंग का ही कमाल है कि कुछ प्रोडक्ट अपने मूल नाम से कम और ब्रांडिंग के तौर पर इस्तेमाल की गई नामों से अधिक जानी जाती है। यही वजह है कि कोका-कोला ठंडा और कोलगेट टूथपेस्ट के नाम से जानी जाती है। आज हर छोटी-बडी कंपनी अपने प्रोडक्ट की इमेज को मार्केट में चमकाने के लिए ब्रांडिंग का सहारा लेने लगी हैं। और इसके लिए जरूरत होती है ब्रांड मैनेजमेंट की। यदि आप भी प्रोडक्ट की इमेज को चमकाने का मद्दा रखते हैं, तो ब्रांड मैनेजमेंट के किएटिव फील्ड के आपके लिए ढेरो विकल्प मौजूद हैं। क्वालिफिकेशन ऐंड एंट्री किसी भी विषय से स्नातक की डिग्री रखने वाले स्टूडेंट्स कैट और मैट एग्जाम क्लियर करने के बाद एमबीए कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। इसके बाद ब्रांड मैनेजमेंट में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। कई इंस्टीट्यूट ब्रांड मैनेजमेंट में डिप्लोमा कोर्स भी ऑफर कर रहे हैं। इसकी अवधि एक वर्ष है। मार्केटिंग के एमबीए करने के बाद भी ब्रांड मैनेजमेंट में करियर बनाया जा सकता है। ब्रांड मैनेजमेंट कोर्स के अंतर्गत कई एरिया आते हैं। जैसे- प्रिंसिपल ऑफ ब्रांड मैनेजमेंट, मार्केट रिसर्च, एनालिलिस ऑफ मार्केटिंग ट्रेंड, कन्यूमर डिमांड, ब्रांड लॉन्च ऐंड यूएसपी, ब्रांड रिसर्च, एडवरडाइजिंग ऐंड मार्केटिंग, ब्रांड प्रमोशन, डिस्ट्रीब्यूशन, पैकेजिंग ऐंड मार्केटिंग ऑफ ब्रांड। खुल जाते हैं जॉब के रास्ते करियर काउंसल परवीन मल्होत्रा कहती हैं कि ब्रांड मैनेजमेंट कोर्स पूरा करने के बाद स्टूडेंट्स के लिए कई रास्ते खुल जाते हैं। वे प्रोडक्ट मैनेजर या ब्रांड डेवलपमेंट मैनेजर के रूप में कार्य की शुरुआत कर सकते हैं। आमतौर पर कोर्स पूरा करने का बाद स्टूडेंट्स का प्लेसमेंट हिन्दुस्तान लीवर, मंहिद्रा ऐंड मंहिद्रा, गोदरेज, सन फार्मा, आदित्य बिरला ग्रुप, रिलायंस, डाबर, बजाज, एफएमसीजी कंपनी, नेस्ले, सिप्ला, कोका-कोला, फार्मास्युटिकल कंपनी, हेल्थकेयर आदि में हो जाती है। इन दिनों फार्मा सेक्टर में ब्रांड मैनेजमेंट से जुड़े लोगों की खूब मांग देखी जा रही है। पिरामल हेल्थकेयर बद्द्ी, हिमाचल प्रदेश में क्वालिटी कंट्रोल के हेड शैलेंद्र कुमार कहते हैं कि फार्मा इंडस्ट्री में ब्रांड मैनेजमेंट से जुड़े लोगों के लिए करियर इसलिए भी बेहतर है, क्योंकि फार्मा कंपनियां कोई न कोई प्रोडक्ट आए दिन मार्केट में उतारती ही रहती हैं। खाकसर जब कोई नया प्रोडक्ट मार्केट में उतारा जाता है, तो बिक्री बढ़ाने और प्रमोशन के लिए ब्रांड मैनेजर की जरूरत होती ही है। कम्युनिकेशन स्किल ब्रांड से जुड़े लोगों का काम प्रोडक्ट की छवि को मार्केट में बेहतर बनाने का होता है, इसलिए अच्छी कम्युनिकेशन स्किल की जरूरत होती है। साथ ही, मार्केट की स्थिति को भांपते हुए हर वक्त एलर्ट रहना चाहिए। सफल ब्रांड मैनेजर बनने के लिए क्रिएटिव माइंडेड होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, मार्केट रिसर्च, एनालिसिस, सेल्स और प्रमोशनल प्लानिंग जैसी स्किल भी जरूर होनी चाहिए। आकर्षक सैलरी ब्रांड मैनेजर का जॉब काफी शानदार होती है और इसपर कंपनी का काफी दामोदार होता है। यही वजह है कि इनकी सैलरी भी काफी अ'छी होती है। शुरुआती दौर में आपकी सैलॅरी 10 से 15 हजार रुपये हो सकती है। लेकिन अनुभव और कामयाबी हासिल करने के बाद आपकी कमाई लाखों में हो सकती है।

MCA Course

MCA Course इसका पूरा नाम master of computer application है जो की computer science में professional master degree है।
MCA 3 वर्षीय Professional master degree है जो कि 6 semester का होता है। यह course उन students के लिये है जो computer में interested है और computer के field में सुनहरा career चाहतें है। यदि आप भी computer के field में एक अच्छा career चाहते है तो इस post को ध्यान से पढ़िये।
MCA Course को india में बहुत से college/universities Offer करती है। इस course को design करने का main reason Software industry में professionals की जरुरत। MCA करने के बाद बहुत सी multi-national companies high-pay job offer करती है, जिससे आपकी personality के साथ-साथ society में एक अच्छी Image उभरती है।

MCA Course eligibility- यह Course वह सभी students कर सकते हैं जिनके 10+2 में या फिर graduation में mathematics subject रहा हो और कम से कम 50 % अंकों के साथ graduation(BCA,B.Sc,B.com,B.tech etc.) complete करी हो।

Addmission- MCA मैं addmission के लिए student के10+2 या फिर graduation में mathematics विषय के साथ 50% अंकों से पास होना जरूरी होता है। MCA में addmission के लिए india में एक National level पर Entrance test AIMCET(all india mca common entrance test) के द्वारा आप top universities में addmission पा सकते हैं। यह टेस्ट आप अपने graduation के final year में दे सकते हैं और कुछ university अपना खुद का entrance test state level पर ऑफर करते हैं।

MCA Course syllabus & fees structure- MCA की fees सभी college/universities की अलग-अलग हो सकती है इसलिए आप किसी भी institutions की official site पर जाकर syllabus & fees structure check कर सकते है।

Specialisation after MCA- MCA हमें computer की कई fundamentals की Specialisation provide करता है। जिनकी list मैंने नीचे लिखी है।
Software development System management Networking Management information system Web designing Troubleshooting System engineering etc.

Career opportunity after MCA- MCA complete होने के बाद आप specialist software engineer बन जाएंगे और भी options है जो मैंने नीचे दे दी है। System analyst Technical engineer Hardware engineer Software and web programmer Software consultant Web designer and developer etc.

Saturday, April 7, 2018

भूविज्ञान के क्षेत्र में रोजगार के अवसर

भूविज्ञान/पृथ्वी विज्ञान में पृथ्वी प्रणाली के उद्गम ढांचे, क्रम विकास तथा गतिशीलता तथा इसके प्राकृतिक संसाधनों का वैज्ञानिक अध्ययन सम्मिलित है। इसमें उन आंतरिक और बाह्‌य प्रक्रियाओं की जांच की जाती है जिनसे पृथ्वी को इसके 46 करोड़ वर्ष के इतिहास में यह स्वरूप प्राप्त हुआ है। भूवैज्ञानिक पृथ्वी के संसाधनों और पर्यावरण के रखवाले माने जाते हैं। वे पृथ्वी और अन्य ग्रहों पर प्राकृतिक प्रक्रियाओं को समझने के वास्ते कड़ी मेहनत करते हैं। पृथ्वी और इसकी मिट्टियों, महासागरों और वातावरण की जांच करना; मौसम के पूर्वानुमान; भूमि उपयोग योजनाओं का विकास, अन्य ग्रहों और सौर प्रणाली की संभावनाओं का पता लगाना आदि, भूवैज्ञानिकों की भूमिकाओं के कुछेक उदाहरण हैं, जिनके जरिए वे पृथ्वी की प्रक्रियाओं और इतिहास को समझने में योगदान करते हैं। भूवैज्ञानिक समस्याओं को सुलझाने और संसाधन प्रबंधन; पर्यावरणीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा मानव कल्याण के लिए सरकारी नीतियों को तैयार करने में प्रयुक्त अनिवार्य सूचना/डाटाबेस उपलब्ध् कराते हैं।

भूवैज्ञानिक हमेशा पृथ्वी और भूमण्डलीय प्रणाली के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं। क्या अन्य ग्रहों पर कोई जीवन है? चन्द्रमा, मंगल, बृहस्पति और अन्य ग्रहों पर क्या संसाधन उपलब्ध् हैं? इनमें किस तरह परिवर्तन हो रहे हैं? सिकुड़ते ग्लेशियरों का महासागरों और जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ रहा है और किस तरह जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं? महाद्वीपों के खिसकने, पर्वतों के बनने, ज्वालामुखी फटने के क्या कारण हैं? डायनासोर क्यों विलुप्त हो गए हैं? आदि। भूवैज्ञानिक पृथ्वी से संबंधित खोजबीन कार्यों से जुड़े हैं। वैश्विक पर्यावरण किस तरह परिवर्तित हो रहा है? पृथ्वी प्रणाली कैसे काम करती है? हमें औद्योगिक कपड़े का निपटान कैसे और कहां करना चाहिए? भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए समाज की ऊर्जा और पानी की बढ़ती मांग को कैसे पूरा किया जा सकता है। जिस तरह विश्व की जनसंख्या बढ़ रही है क्या हम उसके लिए पर्याप्त खाद्य और रेशा तैयार कर सकते हैं तथा किस प्रकार खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं?

भूविज्ञान के आयाम

भूवैज्ञानिक पृथ्वी और अन्य ग्रहों के बारे में डाटा एकत्र करते हैं तथा उसका विश्लेषण करते हैं। वे पृथ्वी की प्रक्रियाओं के प्रति हमारी समझ को बढ़ाने तथा मानवीय जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए अपने ज्ञान का प्रयोग करते हैं। चूंकि भूविज्ञान इतना व्यापक और विविध् क्षेत्र है इसलिए उनका कार्य और कॅरिअर मार्ग विभिन्नताओं से परिपूर्ण है। राष्ट्रीय विज्ञान फाउण्डेशन (एनएसएफ, अमरीका) ने भूविज्ञान, भूभौतिकी, जल विज्ञान, समुद्र विज्ञान, मॅरीन साइंस, वातावरणीय विज्ञान, ग्रहीय विज्ञान, मौसम विज्ञान, पर्यावरणीय विज्ञान और मृदा विज्ञान को व्यापक भूविज्ञान विषयक्षेत्र के रूप में माना है। नीचे वर्णित सूची में इस बात का उल्लेख है कि भूविज्ञानी क्या काम करते हैं और विभिन्न उभरते क्षेत्रों तथा विभिन्न प्रकार के उप-क्षेत्रों में वे क्या कुछ कर सकते हैं। (वर्ण क्रम में)

कृषि भूवैज्ञानिक फसलीय पद्वति और वरीयताओं की दृष्टि से मृदा प्रोफाइल्स के साथ चट्टानों और खनिजों के संपर्क का अध्ययन करते हैं। फसल-खेती में सुधार के वास्ते एक उपयुक्त निर्णय समर्थन प्रणाली तैयार करते हैं।
वातावरणीय भूवैज्ञानिक मौसम प्रक्रियाओं, जलवायु की वैश्विक गतिशीलता, सौर विकिरण और इसके प्रभावों तथा ओजोन क्षीणता, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण में वातावरणीय भूरसायन विज्ञान की भूमिका का अध्ययन करते हैं।
आर्थिक भूवैज्ञानिक/अयस्क भूवैज्ञानिक धात्विक और गैर धात्विक संसाधनों की खोज और विकास के लिए काम करते हैं तथा पर्यावरणीय सुरक्षित उत्खनन और खनन पद्वतियों का अध्ययन करते हैं तथा खनन गतिविधिओं से उत्पन्न अपशिष्ट के निपटान का ध्यान रखते हैं।
इंजीनियरी भूवैज्ञानिक भूविज्ञान से संबंधित डॉटा, तकनीकों और सिद्वान्तों का इस्तेमाल चट्टानों तथा मृदा सामग्रियों और भूजल के अध्ययन के लिए करते हैं। वे उन भूवैज्ञानिक कारकों की जांच करते हैं जो विभिन्न अवसंरचनाओं, जैसे कि पुलों, भवनों, हवाई अड्डों, बांधों/जलाशयों, सुरंगों और अन्य मेगा अवसंरचनाओं को प्रभावित करते हैं।
पर्यावरणीय भूवैज्ञानिक भूक्षेत्र, जलक्षेत्र, वातावरण, जैव क्षेत्र और मानवीय गतिविधियों के बीच संपर्क का अध्ययन करते हैं। वे प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, शहरीकरण और प्राकृतिक आपदाओं; जैसे कि बाढ़ और भूमि कटाव से जुड़ी समस्याओं को हल करते हैं।
जिओलॉजिस्ट्स खनिज विज्ञानियों का एक विशिष्ट क्लब है जो कि कीमती/अर्द्व - कीमती रत्नों तथा हीरों के प्रमाणीकरण् और पहचान के विशेषज्ञ होते हैं।

भूरसायनशास्त्री प्रकृति की जांच तथा भूजल और पृथ्वी के पदार्थों के वितरण में भौतिक तथा इनआर्गेनिक कैमिस्ट्री का प्रयोग करते हैं; वे जीवाश्म ईंधन (कोयला तेल और गैस) भण्डारों के अध्ययन के लिए आर्गेनिक कैमिस्ट्री का प्रयोग करते हैं।
जिओक्रोनोलॉजिस्टस चट्टानों में कुछेक रेडियो एक्टिव तत्वों के क्षय की दर तथा पृथ्वी के इतिहास में घटनाक्रमों के समय अनुक्रम और चट्टानों में उनकी आयु के निर्धारण हेतु कार्य करते हैं।
भूवैज्ञानिक पृथ्वी के पदार्थों, प्रक्रियाओं, उत्पादों, भौतिक प्रकृति तथा पृथ्वी के इतिहास का अध्ययन करते हैं। जिओमारफोलॉजिस्ट्स पृथ्वी के भूस्वरूप और भू-दृश्यों का जिओलॉजिक और जलवायु प्रक्रियाओं तथा मानवीय गतिविधियों से संबंधित अध्ययन करते हैं, जिनसे वे बनते हैं।
भूभौतिकीविद पृथ्वी के आंतरिक हिस्से के अध्ययन के लिए भौतिकी के सिद्वान्तों का प्रयोग करते हैं और पृथ्वी के चुम्बकत्व, वैद्युत तथा गुरुत्वाकर्षण क्षेत्रों का अध्ययन करते हैं।
ग्लेशियोलॉजिस्ट्स ग्लेशियरों और हिम पट्टियों की भौतिक संपत्तियों तथा प्रचालन का अध्ययन करते हैं। हाइड्रोजिऑलॉजिस्ट्स उप-भूतल जल की गुणवत्ता तथा भूतल के ऊपर उपलब्ध् पानी के जिओलॉजिक पहलुओं से संबंधित उपस्थिति, संचलन, प्रचुरता, वितरण और गुणवत्ता का अध्ययन करते हैं।
जलविज्ञानियों का संबंध् पानी से है जो कि इसके वर्षण से लेकर वातावरण में वाष्प बनने या समुद्र में बह जाने तक की गतिविधियों से जुड़े कार्य देखते हैं; उदाहरण के लिए, वे बाढ़ के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए नदी व्यवस्था का अध्ययन करते हैं।
समुद्री भूवैज्ञानिक सागर-तल और सागर- महाद्वीपीय सीमाओं का अध्ययन करते हैं। वे समुद्री थाले, महाद्वीपीय अल्पप्रवण होने और महाद्वीपीय सीमाओं पर तटीय पर्यावरण आदि का अध्ययन करते हैं। मौसमविज्ञानी मौसम सहित वातावरण और वातावरणीय घटनाक्रमों का अध्ययन करते हैं। खनिजविज्ञानी खनिजों के बनने, मिश्रण और संपत्तियों का अध्ययन करते हैं।
समुद्रविज्ञानी समुद्रों के भौतिक, रासायनिक, जैविक और भूवैज्ञानिक गतिविधिओं की जांच करते हैं। पैलियोइकोलोजिस्ट्स प्राचीन जीवों का अध्ययन और संवितरण तथा उनका अपने पर्यावरण से संबंध् का अध्ययन करते हैं।
पैलियोऑन्टोलॉजिस्ट्स पिछले जीवन रूपों को समझने के लिए उनके जीवाश्मों तथा समूची पृथ्वी टाइमस्केल के जरिए उनके परिवर्तनों तथा पूर्व के पर्यावरण के पुनः निर्माण का अध्ययन करते हैं। पेट्रोलियम जिऑलॉजिस्ट्स तेल एवं प्राकृतिक गैस संसाधनों के उत्खनन तथा उत्पादन में शामिल हैं। पेट्रोलॉजिस्ट्स खनिज मिश्रण और तन्तुरचना संबंधों का विश्लेषण करके चट्टानों के उद्भव तथा प्राकृतिक इतिहास का निर्धारण करते हैं।
ग्रहीय भूविज्ञानी सौर प्रणाली की मूल क्रिया को समझने के वास्ते ग्रहों और उनके चन्द्रमाओं का अध्ययन करते हैं।
दूरसंवेदी और जीआईएस व्यावसायिक उपग्रह चित्रों के जरिए प्राप्त नए-नए डाटा की मदद से संपूर्ण ग्रहीय प्रणाली का अध्ययन करते हैं तथा उनकी व्याख्या करते हैं।
सेडिमेंटोलॉजिस्ट्स तलछटों जैसे कि रेत, कीचड़, तेल, गैस, कोयला और तलछटों में जमा कई खनिजों की प्रकृति, विकास, वितरण और वैकल्पिक प्रणाली का अध्ययन करते हैं।
भूकंपविज्ञानी भूकंपों का अध्ययन करते हैं तथा पृथ्वी के ढांचे की व्याख्या के लिए भूकंप तरंगों के व्यवहार का विश्लेषण करते हैं।
मृदा भूविज्ञानी मिट्टियों तथा उनकी प्रोपर्टीज का इस बात के निर्धारण के लिए अध्ययन करते हैं कि कृषि उत्पादकता को किस प्रकार बनाए रखा जा सकता है तथा संदूषित मिट्टी को किस प्रकार सुधारा जा सकता है।
शैल-विज्ञानी चट्टानों के स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक पैमाने पर संपूर्ण भूवैज्ञानिक समय में विशेषकर जीवाश्म और खनिज की लेअर वाली चट्टानों के समय तथा स्पेस संबंधों की जांच करते हैं।
अंतरिक्ष भूविज्ञानी पृथ्वी विज्ञान विशेषज्ञों को अंतरिक्ष विषयों तथा उनकी विशेषताओं के बारे में नई सूचनाओं के साथ सुसज्जित करने हेतु नई-नई जानकारियां उपलब्ध कराते हैं।
ज्वालामुखी-विज्ञानी ज्वालामुखियों और इनके परिदृश्यों की जांच करते हैं ताकि वे इन प्राकृतिक आपदाओं को समझ सकें तथा इनके बारे में पूर्वानुमान कर सकें।

भूविज्ञानियों के लिए रोजगार के अवसर

देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के अनुरूप अन्य व्यवसायों की तरह भूविज्ञान के क्षेत्र में रोजगार परिदृश्य विभिन्न प्रकार और रूपों में है।

इस समय लंबी-रेंज की संभावनाएं बहुत अच्छी हैं। ऊर्जा, खनिज, और जल संसाधनों की बढ़ती मांग के साथ-साथ पर्यावरण और प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित वर्तमान चुनौतियों ने भू - वैज्ञानिकों के क्षेत्र को व्यापक बना दिया है। कई भू-विज्ञानी भूविज्ञानी सलाहकार के रूप में स्वयं - रोजगार संचालित कर रहे हैं या कंसलटिंग फर्मों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ज्यादातर कन्सलटिंग जिऑलॉजिस्ट्स को उद्योग, शिक्षा या अनुसंधान में व्यापक व्यावसायिक अनुभव है।

कुल मिलाकर सामान्यतः पृथ्वी विज्ञान में रोजगार के अवसर और भूविज्ञान में विशेष तौर पर मुख्यतः सरकारी एजेंसियों में उपलब्ध् हैं। भूविज्ञान में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) सबसे बड़ा नियोक्ता है जहां भूवैज्ञानिकों और हाइड्रो जिऑलॉजिस्ट्स को नियुक्त किया जाता है।

प्रमुख पृथ्वी विज्ञान संगठन जीएसआई की स्थापना 1851 में मुख्यतः कोयला संसाधनों का पता लगाने के लिए की गई थी, अब यह करीब 2900 वैज्ञानिक और तकनीकी व्यावसायिकों के साथ सबसे बड़े वैज्ञानिक संगठनों में से एक बन गया है। यह कार्य बड़े पैमाने पर पृथ्वी विज्ञान गतिविधिओं से संबंधित हैं, जैसे कि भूविज्ञानिक, भूभौतिकीय और भूरासायनिक मैपिंग, विशेषीकृत थर्मेटिक अध्ययन, जमीनी और एअरबोर्न भूभौतिकीय सर्वेक्षण, समुद्री सर्वेक्षण, भू-पर्यावरणीय अध्ययन और सर्वेक्षण तथा भू-तकनीकी और सिस्मोटेक्टोनिक सर्वेक्षण।

संघ लोक सेवा आयोग भारतीय भू-सर्वेक्षण विभाग तथा अन्य सरकारी संगठनों में भू-वैज्ञानिकों की भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन करता है।

पारिश्रमिक और पैकेज

किसी भी अन्य प्रमुख क्षेत्र की तुलना में इसमें वेतन और अनुलाभ उत्कृष्ट हैं तथा कई निजी कंपनियों और निगमित घरानों में 10-15 लाख के बीच प्रति वर्ष का ग्रेड होता है। ये बी.ई और बी.टेक. को ऑफर किए जाने वाले पैकेजों में बहुत अच्छा है।

भूविज्ञान में पाठ्यक्रम तथा अकादमिक संस्थान

भारतीय खनि विद्यालय, धनबाद. 1926 में स्थापित यह संस्थान भूविज्ञान और खनन के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्थान है जिसे मानित विश्व विद्यालय का दर्जा प्राप्त है। कम्प्यूटर्स इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्सट्रमेंटेशन, खनन इंजीनियरी, खनन मशीनरी और पेट्रोलियम इंजीनियरी में बी.टेक पाठ्यक्रम संचालित करने के अलावा यहां अनुप्रयुक्त भूविज्ञान में एम.एससी. (टेक) तथा एम.बी.ए. पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। बी.टेक. पाठ्यक्रमों में प्रवेश आईआईटी-परिणामों पर आधारित होता है। अन्य स्नातकोत्तर कार्यक्रम हैं :

(1) ईंधन इंजीनियरी, खनिज इंजीनियरी, खान प्लानिंग और डिजाइन, ओपनकास्ट माइनिंग, रॉक एक्सावेशन और इंजीनियरी, लांग बाल माइन मैकेनाइजेशन, औद्योगिक इंजीनियरी और प्रबंधन, पेट्रोलियम इंजीनियरी, खनन भूभौतिकी, खनिज अन्वेषण, इंजीनियरी भूविज्ञान में एम.टेक. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटीज), जैसे कि आईआईटी-बी, आईआईटी-खड़गपुर, आईआईटीआर ऐसे प्रमुख संस्थानों में से हैं जहां पर इस क्षेत्र में विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इसके अलावा अन्य प्रमुख केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में भी पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं।

दस क्षेत्रों जैसे कि पृथ्वी विज्ञान, भूविज्ञान, भूगोल, समुद्रीविज्ञान, दूर-संवेदन, वातावरणीय विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, जल विज्ञान और कार्टोग्राफी में उपलब्ध् शैक्षणिक अवसरों का संक्षिप्त लेखा-जोखा निम्नानुसार है :-

पृथ्वी विज्ञान :

मास्टर डिग्री स्तर पर, पृथ्वी विज्ञान का एक व्यापक विषय के तौर पर निम्नलिखित विश्वविद्यालयों में अध्ययन कराया जाता हैः- बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय (भोपाल 482026), भारतीय खनि विद्यालय (धनबाद- 826004)-अनुप्रयुक्त भूविज्ञान और अनुप्रयुक्त भूभौतिकी में तीन वर्षीय अवधि की एम.एससी. (टेक.), जीवाजी विश्वविद्यालय (ग्वालियर- 474011), मणिपुर विश्वविद्यालय (इम्फाल- 795003), संभलपुर विश्वविद्यालय (संभलपुर- 768019) और स्वामी परमानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय (नांदेड-431606), विश्वविद्यालयवत्‌ संस्थान भारतीय खान विद्यालय, पृथ्वी विज्ञान में शैक्षणिक और अनुसंधान का एक प्रमुख केंद्र हैं।

भूविज्ञान

भूविज्ञान में करीब 60 विश्वविद्यालय एम. एससी. पाठ्यक्रम संचालित करते हैं जबकि इनमें से कइयों ने एम.फिल. और पी-एच. डी. कार्यक्रम शुरू किए हैं। इसके लिए पात्रता अपेक्षाएं प्रथम डिग्री स्तर पर एक विषय भूविज्ञान रखते हुए बी.एससी. डिग्री है। अन्य 25 विश्वविद्यालय अनुप्रयुक्त भूविज्ञान में एम.एससी., एम.एससी. (टेक) तथा एम.टेक. कार्यक्रम संचालित करते हैं। खनन में शिक्षण के लिए भूविज्ञान से जरूरी इनपुट्स की आवश्यकता होती है। इंजीनियरी कॉलेजों में खनन के रूप में इंजीनियरी विषय क्षेत्र में पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं।

समुद्र विज्ञान

समुद्र विज्ञान और संबंधित विषयों में मास्टर्स डिग्री पाठ्यक्रम निम्नलिखित विश्वविद्यालयों में उपलब्ध् हैं :- (1) अलगप्पा विश्वविद्यालय (कराईकुडी-630003)-एम.एससी. (समुद्र विज्ञान और तटीय क्षेत्र अध्ययन) (2) आंध्र विश्वविद्यालय (विशाखापत्तनम 530003)- एम.एससी. (समुद्र विज्ञान-भौतिकीय एवं रासायनिक); (3) अन्नामलै विश्वविद्यालय (अन्नामलै नगर 608002)-एम.एससी. (मॅरीन बायोलॉजी एवं समुद्र विज्ञानद्ध) (4) कोचिन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (कोच्चि-682022)-एम.एससी. (समुद्र विज्ञान); (5) मद्रास विश्वविद्यालय (चेन्नै- 600005), एम.एससी. (समुद्री जीव विज्ञान), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (चेन्नै 600036) एम.टेक. (समुद्री इंजीनियरी) पाठ्यक्रम संचालित करता है।

दूरसंवेदन एवं जीआईएस

अनिवार्यतः, दूरसंवेदन प्रौद्योगिकी भूमि के सर्वेक्षण-इसके आयामों और इसमें मौजूद संसाधनों दोनों के संबंध् में काम करने के लिए आवश्यक है। भूमि का सर्वेक्षण करने के लिए एरियल फोटोग्राफी का व्यापक रूप से मानचित्र तैयार करने में किया जाने वाला उपयोग दूर संवेदन का ही पूर्ववर्ती है। दूर-संवेदन के महत्व पर विचार करते हुए - अन्ना विश्वविद्यालय (चेन्नै-600025) पहला संस्थान था जिसने तीन वर्षीय अवधि का एम. टेक. (दूर संवेदन) पाठ्यक्रम आरंभ किया, जो कि बी.ई./बी.टेक., बी.एससी. (कृषि/बागवानी), एम.एससी. (गणित/भैतिकी/ रसायन) या एम.एससी. (भूगोल/भौगोलिक) डिग्रियों वाले छात्रों के लिए खुला है। यहां बीई. (जिऑ-इन्फारमैटिक्स) प्रदान करने हेतु संबद्व क्षेत्र के अन्य पाठ्यक्रम भी संचालित करता है। अन्य जिन विश्वविद्यालयों ने पाठ्यक्रम शुरू किए हैं, वे हैं :- (1) आंध्र विश्वविद्यालय (विशाखापत्तनम-530003) एम.टेक. (दूर संवेदन); (2) बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय (भोपाल-482026) - एम. एससी. (टेक.) (दूर-संवेदन); (3) भारतीदासन विश्वविद्यालय (तिरुचिरापल्ली 620024) - एम.टेक. (दूरसंवेदन) - जो कि एम.एससी. भूगोल, भूविज्ञान या भूभौतिकी के छात्रों के लिए खुला है; (4) बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी- (रांची-835215) - एम.टेक. (दूर-संवेदन) - बी.ई. और एम.एससी. डिग्रीधारियों के लिए खुला है; (5) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मुंबई-400076) - एम.टेक. (दूर संवेदन); (6) पुणे विश्वविद्यालय (पुणे-411007) - एम.एससी. (दूर संवेदन) - विज्ञान की किसी भी शाखा में बी.एससी. डिग्रीधारियों के लिए खुला है; (7) रुड़की विश्वविद्यालय (रुड़की-147667), एम.टेक. (दूर संवेदन और फोटोग्रामैटिक इंजीनियरी); (8) श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय (तिरुपति- 517502) - एम.एससी. (दूर संवेदन प्रणाली प्रबंधन), बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय (झांसी- 284128) में दूर संवेदन और भू-पर्यावरण में एक वर्ष की अवधि का स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किया जाता है जो कि एम.एससी./एम.टेक. (भूविज्ञान) डिग्रीधारियों के लिए खुला है, (9) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मुंबई-400075) - उन्नत एरियल फोटो-इंटरप्रीटेशन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा)

मानचित्रकारी :

मानचित्रों में लाइनों, रंगों, आकृतियों और चिन्हों, स्थानों तथा भौगोलिक, टोपोग्राफिकल और भूवैज्ञानिक फीचर्स के जरिए सूचनाएं प्रदान की जाती हैं। मानचित्रकारी मानचित्रों को रेखांकित करने की एक कला है। मानचित्रकारी में उपलब्ध् औपचारिक पाठ्यक्रम बहुत सीमित है, जो निम्नानुसार हैं: मद्रास विश्वविद्यालय में दो वर्षीय अवधि का एम.एससी. (मानचित्रकारी) पाठ्यक्रम संचालित किया जाता है।

डिप्लोमा पाठ्यक्रम अन्य तीन विश्वविद्यालयों में उपलब्ध् है :- (1) उस्मानिया विश्वविद्यालय- भौगोलिक मानचित्रकारी में डिप्लोमा, (2) जामिया- मिल्लिया-इस्लामिया- मानचित्रकारी में डिप्लोमा, एक विषय भूगोल रखते हुए-स्नातकों के लिए खुला है, (3) एम.एस. बड़ौदा विश्वविद्यालय मानचित्रकारी में डिप्लोमा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मुंबई) में मानचित्रकारी से संबंधित स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम, उन्नत एरियल फोटो इन्टरप्रीटेशन उपलब्ध् है।

वातावरणीय विज्ञान

वातावरणीय विज्ञानों के क्षेत्र में पाठ्यक्रम सामान्यतः वातावरणीय विज्ञान में और जलवायु विज्ञान, मौसम विज्ञान, कृषि मौसम विज्ञान में उपलब्ध् हैं। सभी पाठ्यक्रम मास्टर डिग्री (एम.एससी. या एम.टेक.) स्तर पर उपलब्ध् हैं, लेकिन कुछ विषयों में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम उपलब्ध् हैं। (1) कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (कुरुक्षेत्र-136119) - एम. एससी.; (2) पुणे विश्वविद्यालय, अंतरिक्ष विज्ञान विभाग (पुणे-411007), एम.एससी पात्रता : किसी भी शाखा में बी.एससी. (3) आन्ध्र विश्वविद्यालय (विशाखापत्तनम- 530003) - एम.टेक., पात्रता-एम.एससी- भौतिकी, परमाणु भौतिकी, मौसम विज्ञान, समुद्र विज्ञान, अंतरिक्ष भौतिकी, गणित या सांख्यिकी; (4) कलकत्ता विश्वविद्यालय (कलकत्ता-700073) - एम.टेक., पात्रता- संबंधित शाखा में बी.टेक.; (5) कोचिन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (कोच्चि-682022)-एम.टेक., पात्रता : एम. एससी.-मौसम विज्ञान, समुद्र विज्ञान या भौतिकी, साथ में वैध् गेट स्कोर; (6) भारतीय विज्ञान संस्थान (बंगलौर) - एम. एससी. (इंजी) पात्रता - एम.एससी. या बी.ई. /बी.टेक-संबंधित शाखा में; (7) श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय (तिरुपति-517502) - एम.टेक पात्रता : एम.एससी. या बी.ई./बी.टेक. संबंधित शाखा में।

जलवायु विज्ञान

पुणे विश्वविद्यालय (पुणे-411007) - एम. एससी., पात्रता : किसी भी शाखा में बी. एससी मौसम विज्ञान : (1) आन्ध्र विश्वविद्यालय (विशाखापत्तनम- 530003) - एम.एससी. पात्रता : बी.एससी डिग्री; (2) कोचिन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (कोच्चि-682022) - एम. एससी., पात्रता : भौतिकी और गणित के साथ बी.एससी.; (3) एम.एस. बड़ौदा विश्वविद्यालय (बड़ोदरा-390002) - एम. एससी., पात्रता : बी.एससी. डिग्री; (4) भरथियार विश्वविद्यालय (कोयम्बत्तूर-641040) - मौसम विज्ञान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा; (5) पंजाबी विश्वविद्यालय (पटियाला-147002)-मौसम विज्ञान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा। कृषि मौसम विज्ञान (1) चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय (हिसार-125004); (2) गुजरात कृषि विश्वविद्यालय (सरदार कृषि नगर-385506); (3) हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय (शिमला-171005) (4) पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (लुधियाना-141004)। पाठ्यक्रम हालांकि केवल कृषि स्नातकों के लिए खुले हैं। अन्य पाठ्यक्रम

अंतरिक्ष विज्ञान

अंतरिक्ष विज्ञान में पाठ्यक्रम संचालित करने वाला एक मात्र विश्वविद्यालय पुणे विश्वविद्यालय है। इसके लिए पात्रता योग्यता किसी भी शाखा में बी.एससी. डिग्री है। इसके अलावा गुजरात विश्वविद्यालय और आन्ध्र विश्वविद्यालय अंतरिक्ष विज्ञान में पोस्ट-मास्टर डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करते हैं।

जल विज्ञान

जल विज्ञान में केवल दो विश्वविद्यालय एम. एससी. पाठ्यक्रम संचालित करते हैं :- (1) आन्ध्र विश्वविद्यालय-एम.एससी. (टेक.) - (जलविज्ञान), अवधि : तीन वर्ष, पात्रता : बी. एससी. डिग्री; (2) कोचिन विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय-एम.एससी. (हाइड्रो-केमिस्ट्री) -पात्रता केमिस्ट्री के साथ बी.एससी.। इसके अलावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मुंबई), उस्मानिया विश्वविद्यालय और रुड़की विश्वविद्यालय (रुड़की- 247667) जल विज्ञान में डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करते हैं।

खनिज अन्वेषण और प्रोसेसिंग

इस विषय में दो विश्वविद्यालय एम.एससी पाठ्यक्रम संचालित करते हैं, अर्थात्‌ आन्ध्र विश्वविद्यालय में-एम.एससी. (खनिज प्रोसेस इंजीनियरी) पाठ्यक्रम बी.टेक. या भूविज्ञान में मास्टर्स डिग्रीधारियों के लिए खुला है; और गुलबर्गा विश्वविद्यालय (गुलबर्गा-585108)- में एम.एससी. (खनिज प्रोसेसिंग और खनिज अन्वेषण)।

व्यावसायिक प्रशिक्षण सुविधाएं

चूंकि देश में भूवैज्ञानिक शिक्षा में पर्याप्त व्यावहारिक अवयवों की कमी है इसलिए इसमें व्यावसायिक प्रशिक्षण अनिवार्य अपेक्षा है। तदनुसार 1976 में रायपुर में मुख्यालय के साथ एक पूर्ण प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई जिसका मुख्य उद्देश्य नए भर्ती व्यक्तियों के लिए व्यावसायिक प्रेक्टिस सुविधाएं उपलब्ध् कराना था। इसके अलावा भारतीय भूसर्वेक्षण विभाग प्रशिक्षण संस्थान भी भूवैज्ञानिकों को उनके संबद्व क्षेत्रों में उन्नत अध्ययन के वास्ते महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में हो रहे नियमित विकास के दृष्टिगत और संगठन में संचालित अत्याधुनिक तथा विविधतापूर्ण गतिविधिओं को ध्यान में रखकर तैयार किए जा रहे हैं।

भारत में देश का प्रमुख भूवैज्ञानिक संगठन - भारतीय भूसर्वेक्षण विभाग (जीएसआई) उन गतिविधिओं के प्रति समर्पित है जिनमें विभिन्न पैमानों पर संपूर्ण देश का भूवैज्ञानिक मानचित्रीकरण, खनिज आधारित उद्योगों के विकास के लिए भूवैज्ञानिक डाटा संकलन, ऊर्जा और पर्यावरण संसाधनों, अनुसंधान गतिविधिओं तथा पृथ्वी विज्ञान से संबंधित सभी पहलुओं के ज्ञान के विस्तार संबंधी गतिविधियाँ शामिल हैं। इससे संबद्व प्रशिक्षण केंद्र हैं :- 1. चित्रा दुर्ग प्रशिक्षण केंद्र, कर्नाटक 2. लखनऊ प्रशिक्षण केंद्र, उत्तर प्रदेश 3. रायपुर प्रशिक्षण केंद्र, छत्तीसगढ़ 4. रांची प्रशिक्षण केंद्र, झारखण्ड 5. जवार प्रशिक्षण केंद्र, राजस्थान 6. हैदराबाद प्रशिक्षण केंद्र, आन्ध्र प्रदेश

कई विकासशील और अल्प विकसित, विशेषकर सार्क देशों जैसे कि नेपाल, भूटान, बंगलादेश, सूरीनाम और कई अन्य देशों के भूविज्ञान व्यावसायिकों को देश में जीएसआई द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इसी प्रकार विभिन्न अन्य कम्पनियां भी अपनी विशिष्ट गतिविधिओं पर आधारित व्यावसायिकों को क्षमता निर्माण के लिए इन-हाउस प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करती हैं।

10 वी के बाद कौन-सा कोर्स करे, कौन-सा सब्जेक्ट ले, क्या करे ?

हमारे देश में दसवी क्लास तक सभी स्टूडेंट्स को एक जैसा सब्जेक्ट पढाया जाता है लेकिन इसके बाद विद्यार्थी को अपने इंटरेस्ट के हिसाब से या फिर आ...